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विश्व संगीत दिवस पर विशेष: स्वर कोकिला लता मंगेशकर द्वारा महत्वाकांक्षी संगीतकारों के लिए सुझाव
हिन्दी सिनेमा में गायिकी का दूसरा नाम कही जाने वाली, एशिया की सबसे सम्मानित और कुशल गायिका लता मंगेशकर से जब उनकी सफलता का मंत्र पूछने पर उन्होंने बताया कि मेहनत के अलावा कोई भी शॉर्टकट काम नहीं आता है।
उन्होंने कहा, मैं कौन होती हूं किसी को सलाह देने वाली ? हर एक की लड़ाई अपनी लड़ाई होती है। जिस मंत्र ने मेरे लिए काम किया, वह दूसरों के लिए काम नहीं कर सकता है। ”
उन्होंने बताया कि “मेरा संघर्ष सिर्फ मेरे लिए नहीं था। यह मेरे परिवार के लिए था। मैं जब मात्र 13 साल की थी, तब मेरे पिता का देहांत हो गया था। सबसे बड़ी बहन के रूप में मेरी तीन बहनों और एक भाई की देखभाल की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई। चूंकि गायन ही मेरे लिए सब कुछ था। मैं अपनी सूती साड़ी और चप्पल में पूरे मुंबई में रिकॉर्डिंग स्टूडियो के लिए निकलती थी। शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक ट्रेन से यात्रा करती थी, अक्सर खाली पेट भी रहना पड़ता था। नौशाद साहब और सज्जाद हुसैन साब जैसे दयालु संगीतकार मुझे दोपहर का भोजन खिलाते थे।
लताजी के अनुसार, संघर्ष एक कलाकार के जीवन का अभिन्न अंग होता है। यदि आपने पीड़ा नहीं झेली है तो आप दर्द को लेकर कैसे गा सकते हैं? आज की पीढ़ियों के लिए यह अपेक्षाकृत आसान है। गाने कंप्यूटर पर रिकॉर्ड किए जाते हैं। हमारे समय में लाइव रिकॉर्डिंग में 100 से अधिक ऑर्केस्ट्रा सदस्य वाद्य यंत्र बजाते थे। रफी साहब और मैं या किशोर दा और मैं जब युगल गीत गाते थे तो हम एक ही माइक साझा करते थे। आजकल दो महाद्वीपों से एक युगल गीत रिकॉर्ड किया जाता है। गीत की भावनाएं गायब हैं। ”
लताजी रीमिक्स कल्चर के सख्त खिलाफ हैं। उनका कहना है कि “रफी साब, किशोर दा, आशा या मेरी नकल करना ठीक है, लेकिन आपको जितनी जल्दी हो सके अपनी आवाज खुद ढूंढनी होगी। नकल आखिर नकल होती है। अपनी खुद की आवाज खोजें। भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखें, रागों को जानें और प्रतिदिन अभ्यास करें। दुर्भाग्य से मैं इतनी व्यस्त हो गई थी कि मैंने अपने रियाज को नजरअंदाज कर दिया। एक गायिका के रूप में इसका मुझे इसका एकमात्र अफसोस है। काश मैंने हर दिन अपने रियाज के लिए समय निकाला होता। युवा गायकों को मेरी सलाह है कि अपनी आवाज को एक मंदिर के रूप में देखें।